अेक

छात तो छात है

ऊपर चढै तो नीचे पड़ण रो डर

अर

नीचे बैठे तो ऊपर पड़ण रो।

फेर म्हे

ऊपर चढां

अर

नीचे बैठां।

ऊपर चढां जद

अेक पग मंडेरी माथै मेलणो

कोनी भूलां

अर नीचे बैठां जद

कद भूलां

करणी

करड़ी छाती।

दोय

म्हारै

साळ री छात

तीन बर पड़गी।

अबकाळे

फेरूं पड़ूं-पड़ूं करै

म्हे फेरूं

कच्ची छात लगास्यां।

स्रोत
  • पोथी : मंडाण ,
  • सिरजक : विनोद स्वामी ,
  • संपादक : नीरज दइया ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ,
  • संस्करण : Prtham
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