नवी हवा रा लैरका

सरणाट बेवै है...

प्रेम री बातां रो उळझाव

राखणो चावै कोनी

अेक-दूजै री दोनूं

गरज जाणै है-

'गरज मिटी अर गूजरी नटी'

लेणै-देणै री लटकाण

अैसाण अर ओळभै रो माण

बिरथा भार कुण ढोवै है?

नवै जुग रो साच

हवा री सौरम नै कांई दोस?

स्रोत
  • पोथी : मंडाण ,
  • सिरजक : हरीश बी. शर्मा ,
  • संपादक : नीरज दइया ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ,
  • संस्करण : Prtham
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