अबै

सोचणै रौ बगत कठै

बगत तौ सगळां रै साथै

धमकै सूं फिरग्यौ

लोग ढूंढ रह्या है

भाटै-भाटै में सोनो चांदी

अबै तौ सरू है

आदमी सूं आदमी री लड़ाई

सगळा धंस रह्या है

हार-जीत री जिद में

बस बाजती रैवै

एक अलार्म सोवतां-जागतां

नीं मौत रौ ठा

नीं जिन्दा रैवण रौ।

च्यारूंमेर बम री लपटां में

झुळसता दीसै

टाबर, लुगाई, मोट्यार,

पड़बाळा लागै

सुरजी, चांद अर तारा।

तपती धरती री कोख में

झुळसग्या कीड़ा-मकोड़ा, बनराय

पंखेरू, झरणा, फूल अर डूंगर

भट्ठी है धरती अर आकास

लागै अबै

एक नुंवौ लिख्यौ जासी

इतिहास।

स्रोत
  • पोथी : जातरा अर पड़ाव ,
  • सिरजक : गोरधनसिंह शेखावत ,
  • संपादक : नंद भारद्वाज ,
  • प्रकाशक : साहित्य अकादेमी ,
  • संस्करण : प्रथम
जुड़्योड़ा विसै