भाई वा बड़ा शहर में जनम्यो

पळ्यो, वहीं मोट्यार हुयो

अब वा खैवै

बाकी सारा शहरन कू छोटा शहर

कस्बांन कू खैवै गांव

और गांवन कू खैवै नरक

वा गाड़ी ले’र सूटासूट निकळ जावे

अपणा शहर को झुग्गी झोपड़ी की बगल सूं

बड़ा शहर को बड़ो आदमी

सबसूं गंदी हवा में सांस लेवै

वा मर तो जावै

पर बापणा को

कोई प्यार सूं कौन खबावै

अपणी नयी ब्याई भैंस का दूध की कीळी।

स्रोत
  • पोथी : कथेसर ,
  • सिरजक : देवेश पथ सारिया ,
  • संपादक : रामस्वरूप किसान
जुड़्योड़ा विसै