वीणा धरणी मायङ म्हारी,

बैठ्या सगळा सरणै थारी,

वीणा धरणी......

भेंट पूजायो म्हे कांई लाया

निरखले मायङ म्हारी

बैठ्या सगळा सरणै थारी,

वीणा धरणी......

अगर चंदन री ज्योती जगावां

फूलङा री मां भेंट चढ़ावां

जन कल्याणी मायङ म्हारी

बैठ्या सगळा सरणै थारी,

वीणा धरणी......

गुण गावां म्हे सांझ सवारै

दरसण तांही आया द्वारै

ज्ञान तिजोरी भर दे म्हारी

बैठ्या सगळा सरणै थारी,

वीणा धरणी......।

स्रोत
  • पोथी : मारुजी लाखीणौं ,
  • सिरजक : कालूराम प्रजापति 'कमल'
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