सुरसती पर कवितावां

सरस्वती विद्या की देवी

हैं। उनकी स्तुति और प्रशंसा में प्राचीन समय से ही काव्य-सृजन होता रहा है। विद्यालयों में प्रार्थना के रूप में निराला विरचित ‘वर दे, वीणावादिनी वर दे!’ अत्यंत लोकप्रिय रचना रही है। समकालीन संवादों और संदर्भों में भी सरस्वती विषयक कविताओं की रचना की गई है।

कविता3

थारी चिरळाट

अर्जुन देव चारण

सरस्वती वंदना

आभा मेहता 'उर्मिल'

अरदास

भगवान सैनी