सिणगार देखनै

बिणजारी रो

उतर आवै हो सूरज..

मेनाळी री जळमती ठौड़'पै

अर न्हावै हो चान्दो

तिलस्वां रा कुण्ड में!

पण अब..

लगोलग भूमाफिया सूं

कर रैयी है बंटवारो

करसां री जात

आपणा बाप-दादावां री

खेत लड़ाई रो।

सुणज्यो!

पथिकजी,वर्माजी

थांका ऊपरमाळ रो

अब कांई हाल हो रियो है..!

अेक बिणजारो दारू पिवनै

गबल्या भिजो रियो हैI

थै करम कऱ्या पण

करबारी सीख नीं दी!

डोफा डोपर खांच रिया,

नगोजा करम बांच रिया,

थैं रावळा सूं लड़ता रिया..!

अर म्हैं कुरळो कर'र

टांच रिया हां भाटा।

रिपया रो करज, च्यार आना रो ब्याज

अण बरस होग्या पूरा साठ..!

हरख अर उमाव सूं देखो

है नूंवीं ऊपरमाळ

…भाठां री टकसाळ।

स्रोत
  • पोथी : चौथो थार-सप्तक ,
  • सिरजक : मोहन पुरी ,
  • संपादक : ओम पुरोहित 'कागद' ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन
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