अेकलौ, साव अेकलौ

घणा डाफा खाया म्हैं

आपौआप सूं सांम्हेळा खातर।

मिळै कोई

तौ जोवूं

उण री मौजूदगी रै दरपण

उणियारौ म्हारौ।

स्रोत
  • पोथी : जागती जोत ,
  • सिरजक : कैलाश कबीर ,
  • संपादक : भगवतीलाल व्यास
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