चिड़ी री चिंह-चिंह में है
पाखी री भूख-प्यास
चिंहचहाती वा उडती फिरै
करै दाणा-पाणी रो जुगाड़।
चिड़ी री चिंह-चिंह में
अेक तरपत राग
भरपेट वा सुणती फिरै
पेट भरण रो सनेसो।
चिड़ी री चिंह-चिंह में है
मां री ममता
लाडभरी वा चहुंकती फिरै
करती अपणै चूजां नै लाड।
चिड़ी री चिंह-चिंह में है
सूरज गाळी रो गीत
उजास भरी वा गावती फिरै
उठो जागो। उठो जागो॥