जद जद

असल महताऊ मकसद रै खातर

लोगां नै थळगट सू बारै लावण खातर

आपौ होम दै

अेक पूरौ वरग, अर

करवट लैणौ चावै पूरौ देस

घबरीजै हाकम

दौड़ता आवै हाकम रा औलकारी घोड़ा

आपरी सगळी मैणत सूं वै

बांटै लोगां में

की गुटका अर कीं सबड़का रा परचा

पाछौ पसरण लागै धांधळको

दीखै भरमीली उजास

अलेखू छोटे-छोटे लालचां री,

अकसमात

तद थम जावै पग

रैय जावै बायरै रौ सरणाटौ अर उदासी

अर बध जावै आंतरौ

व्है जावै दीठ सूं बारै

मिनखपणौ

आभौ फाटण रै पैली

अेक सबळै अर ठावै नतीजै माथै

पूगण रै पैली बिलमीज जावै आदमी

रंगीन नारेबाजी रा टुकड़ा साथै खेलण में

अेक बेमौसम री बरसात

कर जावै ठंडौ

जोस रै ज्वालामुखी नै

तूट’र बिखर जावै सांचा आगीवांण

डूब जावै अरथवान सबद

'ट्रिक अर टेक्ट' रै भंवरजाळ में

लोग,

पाछा पगां आय'र ऊभै

थळगट माथै इज

बाट जोवै के अकर फैरू चालै मुगती री हवा

उडीकै के आवै कोई आगीवांण

ज्यू अणमणी-सी कोई।

उडीकती रैवै बिछड़ियोडै बालम नै

सोचै के अेकर तौ हरौ व्है जावै

आस रौ रूंख फेरू

पण आप जाणौ

कितरौ बगत,

कितरी मैणत, कितरी खाद लागै

नवी फसल नै त्यार करण में,

बगत रौ इंतजार तौ करणौ पडसी।

स्रोत
  • सिरजक : चंद्रशेखर अरोड़ा
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