दो मिनटां रा मीठा बोल

अर उपज्योड़ै हेत रो नूंतो

जिण मांय

अेक धोरै माथै

तीन ईंटा रै चूल्है धर्‌योड़ै

माटी रै तवै पर

बिन चकळै-बेलण

हाथ लगा’र रखेड़ी

आटै री लोई नैं

तवै सेक’र

खीरां माथै फुला’र

तैयार कर्‌योड़ो रोट

कांदै री चटणी

अर अेक मिरकली

घी नैं

हाथां मांय

रख’र खावणों

अर

माटकी आडी कर’र

अेक लोटो पाणी लेय’र

चळू करणो

दुनिया रै सैंग

फाइव स्टार होटलां रै

स्टार्टर-मेन कोरस-डेजर्ट

का धन सूं धायोड़ां रै

मै’लां रै ‘छत्तीस-भोग’ सूं आछो है।

कई सालां पछै

बिसरग्यो

उण मेजबान रो नांव

गांव,

गांव तो नीं

फगत जिलै रो नांव चेतै है

जिको आजकाल

म्हारी कर्म-भोम।

बस चेरो चेतै आवै

इण वास्तै

झूंपड़ी-झूंपड़ी सोधतो घूमूं उणनैं

म्हारो सनेसो

पूगा सकै कोई

तो पूगावज्यो

कै हेत रो कोई मोल नीं

कोई जात नीं

इणीं कारणैं

उडीकूं

पाछो बीं रोटी नैं

बीं सुवाद नैं।

स्रोत
  • पोथी : रणखार ,
  • सिरजक : जितेन्द्र कुमार सोनी ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन, जयपुर ,
  • संस्करण : प्रथम
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