सज्जो अेक संघट्टण पंथ पलट्टण, राज उलट्ठण आज बढ़ौ

मन में मिनखापण नैण सुरापण, खांधै खांपण मेल कढ़ौ

तपै अम्बर भांण धरा किरसांण, पसीनै रै पांण पाकत खेती

पण मूंछा रै तांण कियां करडांण, बिना घमसांण कोई लाटले खेती!

ढांणी रै ढांणी अखंडी व्है उच्छव, गाळ कसूंबौ रे ढोल ढमंक्कै

डंकै री चोट त्रंबाळ धमंक्कै, धरती रा किरसांण धमंक्कै

सज्जो अेक संघट्टण पंथ पलट्ठण, राज उलट्ठण आज बढौ

मन में मिनखापण नैण सुरापण, खांधै खापण मेल कढौ!

जांणै केहरी गेह सूं आज कढ्यौ, जांणै मेह प्रचंड तूफांन चढ्यौ

जांणै बीज पळापळ मेह चढ्यौ, जांणै तीड धरातल घेर चढ्यौ

जांणै पंछी झपट्ठण चढ्यौ, जांणै बीज कड़क्कत गाज चढ्यौ

सज्जो अेक संघट्ठण पंथ पलट्ठण, राज उलट्ठण आज बढौ!

मन में मिनखापण नैण सुरापण, खांधै खांपण मेल कढौ!

स्रोत
  • पोथी : परम्परा ,
  • सिरजक : रेवंतदान 'कल्पित' ,
  • संपादक : नारायण सिंह भाटी ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी शोध संस्थान चौपासनी, जोधपुर
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