लोग नीं जाणै

अचूंभै जेड़ी नीं है बात

डोळा काढ़तै तावड़ै

सिसकै पण छोडै नीं प्राण

कींकर खेजड़ो!

लोग नीं जाणै

अेकर जद बरसी बादळी

खेजड़ो भोज्यो-

छिकियो पाणी मेहामेह!

जीवै अजेस

उबारै उण याद रै!

स्रोत
  • पोथी : उतरयो है आभो ,
  • सिरजक : मालचंद तिवाड़ी ,
  • प्रकाशक : कल्पना प्रकाशन बीकानेर
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