आडियै मारग सूं

जावतौ कदैई टोळौ,

तापै चढियौड़ो करहौ

आभै में होयौड़ो खंखारौळ

झैरावती सांढणियां,

गगगगगगगगगग........

खीझतौ जाखौड़ो

पटकतौ पूंछ रा झपीड़।

हाकलां करतौ........

टोळै नै टोळतौ रेबारी

रेबारी रै-

फाटोड़ा गाभा

लीर-लीर होयौड़ो पोतीयौ,

फाटोड़ी पगरखी

कांख में लटकायोड़ौ

पाणी रौ भुड़को

अर–

दूध पीवण रौ ताहटौ (तपैलो)

रेबारी-

आपरी जीया जूण में

घणौ राजी,

वो टोळै नै

लेय’र जावतौ दिसावर,

टोळै री ओळख होवती

उणरै-

पींडै माथै दीनौड़ा खैंग (दाग) सूं।

जठै आथमतौ दिन

पड़ जावतौ अंधारौ

उठैईज रिनरोही में दैवतो डैरो

दूध री बणायौड़ी खीर

धाप’र पीवतौ रेबारी

अर-

सो जावतौ रेत रै बिछाणै।

स्रोत
  • सिरजक : नाथूसिंह इंदा ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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