लौ,

अेक पूरो दळ रौ दळ

सांमी आयगौ है

इतिहास-पख!

पलोपल, पगोपग

चौफेर उजागर व्हेतौ

मौत मुंडै चढ़ियोड़ी

गळियाँ अर मकानां सूं निकळ

मौरचौ लेतौ

आयगौ चौरावै घुरकावतौ

इतिहास-पख

साव सामोसांम।

सूखोड़ी देहियां में

लेवती पसराव

जड़ां

बदळाव री,

अर समरथन रूप आं ऊंची व्हियोड़ी

हाथां री खुली हथेळियां

बंद व्हेय'र मुट्ठी में बदळीजण लागगी

रगत रंग आख्यां में उकळीजण लागगो

कसोटियां

चढगौ है बद आदमी रौ

पण पीड़

किणी नपीणै नपीजे कोनी

चोट करण सारू सधियोड़ा हाथां में

देख घण उंचियोड़ा

भाटां नै भंगीजण रौ भै खायगौ है

लौ अेक पूरौ दळ रौ दळ

सांमी आयगौ है—इतिहास-पख!

जूंनी भींता गढ़ां-मठां री

लेव खेरती

जगै छोड़ती जाय धमाकाँ समचै

खंड-खंड पाखंड पियोड़ी

नगर-सेठ री नुंवी हवेली

नीवाँ झटका खाय।

संद उतरता गोदामां गिंदाय रैयो है

काळ पड़णा री वाट जोवतौ

काळ पटकतो

अर सेठां रौ नफौ बधातौ

धाँन।

चकारा काट रैयी है

चिगदीज्योड़ी भूख

के जांणै प्रेत-कथा रौ भूत

आपरै भख सारू भटकै भिमर्‌योड़ी

दाँत अर डाढ़ री भींचण

लंबूतरीजतै चैरै माथै

तांण दैवै हाडक

कनपड़ी री नस फरूकती भुजा साथै

खावै उछाला

भेटी मारण सारू

अस्टपौर त्यार कोई भोडक

क्यूँ के वौ देखौ हत्यारौ हाथ

फेर उण कँवळी जमीं माथै

घावां रौ दरखत उगायगौ।

अबै उणरी हरकतां रा पडुत्तर देवण नै

अेक पूरौ दळ सांमी आयगौ

इतिहास-पख!

आपरौ आकास आपरी दिसावां धारतौ

पगां हेटली जमीं माथै

खुद रै अधिकार री घोसणा करतौ

थोपीज्योड़ा आरौपां री नींव खोदतौ

खुद रौ अेक सूरज-मँडल ऊंचायाँ

वौ कैयां रा प्रभामंडल तोड़तौ

आयगौ है जवानां रौ जूथ—

इतिहास-पख!

इण पख री किणी पुड़त

कोई इतिहास पुरस

उळझ्योड़ा नखतरां रा गणित मै सुलझावतौ

समूलै बदळाव री रूपरेखा धारतौ

नीं जाणै किण इकांत कठै बैठी है

सांमी है नवजवानी झूंड

अेक टोळौ—

इतिहास-पख!

स्रोत
  • पोथी : जुड़ाव ,
  • सिरजक : पारस अरोड़ा ,
  • प्रकाशक : धरती प्रकाशन ,
  • संस्करण : 1
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