सिरजण रा तीन तार हुवै...

अेक तूं, अेक म्हूं

तीजो आपणो हेज!

जिकां सूं गूंथीजै

समूची सिरस्टी

फूठरी बुणगट मांय!

तूं बडो कै म्हैं?

कीं फरक नीं पड़ै...

जे तीजो तार बिचाळै

हुवै सिरस्टी मांय

पण मुगत हुवैला जद

तूं बडो म्हैं बडी

तीनूं तार सामटैला

समूची बुणगट

बीज रै मांय।

स्रोत
  • पोथी : अंतस दीठ ,
  • सिरजक : रचना शेखावत ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन,जयपुर ,
  • संस्करण : प्रथम
जुड़्योड़ा विसै