जरड़ देणी उधड़ग्या

म्हारै हेत रा बंट

गळड़ देणी पड़्या

म्हारी प्रीत पूरी माळा रा

अेक अेक मिणियां

बण'र आंसू

जद बा कैय न्हाख्यो

'थारी जुर्‌रत कोनी'।

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुणियोड़ी ,
  • सिरजक : देवीलाल महिया ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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