जरड़ देणी उधड़ग्या

म्हारै हेत रा बंट

गरड़ देणी पड़्या

म्हारी प्रीतपूरी माळा रा

अेकेक मिणिया

बण’र आंसू

जद बां कह न्हाख्यो

‘थारी जरूत कोनी।’

स्रोत
  • पोथी : ऊरमा रा अैनांण ,
  • सिरजक : देवीलाल महिया ,
  • संपादक : हरीश बी. शर्मा ,
  • प्रकाशक : साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली ,
  • संस्करण : प्रथम
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