जरड़ देणी उधड़ग्या
म्हारै हेत रा बंट
गरड़ देणी आ पड़्या
म्हारी प्रीतपूरी माळा रा
अेकेक मिणिया
बण’र आंसू
जद बां कह न्हाख्यो –
‘थारी जरूत कोनी।’