थारै प्रेम में
सगळो जमानो
छोड़ आई हूं,
सगळा बंधणा नैं
छिण में तोड़ आई हूं,
म्हानै आदत घणी है,
दरद में भी मुळकणै री,
जणा ही सुख रा नाता सूं,
मैं मुंडो मोड़ आई हूँ॥