तपसी जिसौ थारौ भेस
अखन कंवारी थारी साधना
मन मे जद उठै बैराग
बिचरै थूं साधु-संत ज्यूं
जाणै कोई गाडूलौ लोहार
छोड पुराणा आसरा
डेरा राखै है डांग पर।
अलख जगावै धूणी ताप
हठजोगी बण थूं अेकळौ
थूं म्हारै थळवट रो उमराव
निमन करां म्हे थारै त्याग नै।
घण ऊजळ है कूख
जिण धरती थूं जलमियौ
आई जद उणनै गाढी रीस
तन में उठ्या जद धपळका
रूं-रूं में लागी इसी लाय
पी’गी समदर नै सापतौ
आयौ जिको छोळाछौळ
अकड़ धजी इतरांवतौ।
थूं है सोनै रो डीगौ पा’ड़
कुन्दण रै चूरै ज्यूं है बेकळू
कोनी मांडे कूड़ा सिलालेख
मांडै तो मांडै मरजाद ने।
थारै आगै मौसम मानै हार
अखंड जुझारू थूं है सूरमौ
थूं म्हारै थळवट रौ उमराव
निमन करां म्है थारै त्याग नै।
निमन है थनै
थारै लाखीणै तप-तेज नै
ऊगती-बिसूंजती बेळा
परकम्मा देंवतौ सूरज
करै थारी कसूमल आरती।
गावै है हरजस
हवा रै हिंडौळै झूलता पांगरिया पुसब।
इमरत री-झारी लियां
हाजरी भरै है रात-रात भर
चौकम चंदरमा
अर नींद में झोटा खांवती बेळा थनै
सुणावै मोरचंग अर रावणहत्था
रंगरसिया बालम, लस्करिया लंझा
औळंगिया मारु वाळा मीठा लोकगीत।
निमन है थनै
थारै लाखीणै तप-तेज नै।
गरमी री लूवां
भंवाळी खाय’र न्हाख देवै नाड़
थारै तेज रै सामी।
डाफर डरूं-फरूं हुय जावै
थारे अडिग विस्वास रै आगै।
बिरखा थारी कीरत रै सारू
हरिया खेतां में छांवळा छावै
अर वसन्त में
फागणियै छैलै ज्यूं
थूं ही रंग में रंगीज जावै।
निमन है थनै
थारै तप-तेज नै
थारी माटी इतिहास सिरजै
धरम-करम रै इकलंगियै
थंभां माथै
भूगोल थारा कीरत नै उजळावै।
धरती थारा वारणा लेवै।
गिनन रा मेघ लुळ-लुळ’र
मुजरौ करै थनै।
इसौ महात्मा थूं
निमन है थनै
थारै लाखीणै तप-तेज नै।
अमूझ’र क्यूं बैठौ है थूं आज
पिछाण थारी ताकत नै
अगस्त्य ज्यूं थूं भी तो पियौ है
आखै समदर नै
थारी तिस रै ताण।
थूं भी तो समेटी है सुरसत नै
थारी काया रै मांय।
इसौ महाबली थूं
निमन है थनै
थारै लाखीणै तप-तेज नै।