एक

बळतै डूँगर
उभराणै पगां
खड़्यो है वो
जिणनै
उडीगतां उडीगतां
पथरागी आँख्याँ
औ जुग देवता
सींचै
पसेव सूं
भौम
कर डण्डोत।

दो

रे भोळा भण्डारी
कठै फंस गियौ
इण
घड़ायतियों रे डेरे मांय
भागीजै तो भाग
नींतर
लूट खासी
थारौ घर
उतार लैसी सगळा गाबा
कर देसी मादरजात
ईसौ डसैला
नीं मांगेला पाणी
डकार जासी साबतौ थनै
नीं लैसी डकार
रैइजै सावचेत
इण बरूपियों सूं।


तीन

म्हारै कांधै चढ़
जा बैठ्या
सीखर
म्है
चढ़वा सारू
सामो कीयौ हाथ
बताय दियौ
अंगूठो।
स्रोत
  • पोथी : जागती जोत ,
  • सिरजक : जबरनाथ पुरोहित ,
  • संपादक : भगवतीलाल व्यास
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