1.

मारुई !

बीती सो वीसार दे

इण बेगत री चिंता छोड़ दे,

आपणै अठै तो पैलां

रूप री अपछरावां रो

अपहरण हुवतो आयो है।

पण इन्याव नै अंगेजणो

नाजोगै बेगुण नै निभावणो

आपणै पुरखां री

परंपरा कदै रही कोनी।

जे तूं रोई तो-

अमराणै रो सूमरो सरमावैलो!

म्हनै पतियारो है -

थारो बलाघात हुयो है

वतन रो व्हालो

विनास रै पंथ वुहो है,

ल्यायो सो पछ्तावैलो

रोयां दुख दूर नीं हुवै,

रोयां 'उमर' रो

सपनो पूरो व्है जावैलो।

अमराणै रै बागां मांयली

चहकती चिड़कलियां रै

गूंगै मन सूं रगत रिसैलो।

अमराणै री अंजसजोगी

अवल नै धवल धरती रा

अे ऊजळ दिनड़ा पछै

दुख रा दरियाव बण जावैला।

इण बागां मांयला

अे सुरलिया सुवटिया

अमराइयां नै छोड़

ठैठ मकली नै

ढंढ कींझर रा

मेहमाण बण जावैला।

मारुई! रोयै मती !

मारुई! रोयै मती !!

2.

मारुई ! रोयै मती!!

मारुई, जे तूं रोई तो-

थारै नैणां रो नूर

ओसर्यां पछै

थळ री माटी नै

सींच देवैला

जामण रै जिगर नै

झट जळाजळ कर देवैला।

धाटड़ली री धोळी धेनवां

लांबेसर री पाळ

चरण नीं आवैली।

सिंझ्या री शिव मंदर में

आरती नीं हुवैली।

जे तूं रोई तो -

थारो पतिव्रत

भंग व्है जावैला।

थारौ देस -प्रेम

खंडित व्है जावैला।

सुण सुवासणी !

थारै थळ में

नारी कदै नीं हारी

बगत आगळ

बणै बलिहारी,

थनै तो थारै

सती-सूरापै री

सौगन है

तूं रोई मती!

रोई मती !!

3.

मारुई! रोयै मती!!

थारी अणथागी थळ रो

जायोड़ो कवेसर केवै-

थारै संग री पणिहारियां

कुवै रो पाणी भरणो

हाल तांई नीं छोड़ियौ है।

थारै ढूळै री सहेलियां

सौळै सिणगार करणो

आज तांई नीं छोड़ियो है।

मलीर री मीठी मावड़ियां

धर व्हाली धीवड़ियां रो

नांव'मारुई 'राखणो

अबै तांई नीं छोड़ियो है।

मलीर रै मोरियां

रूड़ी रुत आयां

कद नाचणो छोड़ियो है।

ढाट री अे ढेलड़ियां,

ढूळै-ढूळै बैवणो

कद छोड़ियो है?

भालवै री तीजणियां

डाळी-डाळी हींडो मांडणो

आज लग नीं छोड़ियो है।

डाडाणै री डावड़ियां

मुनीमारो राखणो

कद छोड़ियो है?

गायां चरावती गोरियां

गोरबंध गूंथणो

कद छोड़ियो है?

थारै बाबो सा बकरियां

कैरां फोगां नै चरणो

हाल तांई नीं छोड़ियो है।

मुलकां चावी मलीर री

रंग रूड़ी रंगत नै

निरखियां कुण मोयो है ?

थारै वडेरां भूल्यां

बुराई रो बीज कद बोयो है?

बाबइयै पीव-पीव री

रट-राग नीं छोड़ी है।

किरड़ां कैरां संग

बाथां घालणी नीं छोड़ी है।

थारै सीमाड़े री

सोनल भींगां

मुरटां-मुरटां माथै

भमणो नीं भूली है!

4.

जे तूं रोई तो-

पारकर री पत रो

पाणी उतर जावैलो।

कालूंझर री कीरत पर

पाणी फिर जावैला।

मलीर रा मारू

बनी रा वाहरू,

मन-मन रोवैला।

फूलांदे सोढी रो फरज

पाबू किण विध निभावैला?

रूणीचै रो रामो

नेतलदे नै परणीजण नीं आवैला।

काळजो काठो राख

थारै जरणा रै ज्वर नै

धीरज रै डिगमिगातै डगर नै

द्रौपदी वाळो स्याम

हरगज आंच नीं आवण देवैला।

सदा सती-जती नै

धीर-ध्रूवती नै

कुण डिगा सकैला?

तूं अेड़ी माटी में जलमी है,

जिको जुगां-जुगां सूं

काळ री करवट नै

नाहरां री खटपट नै

बळबूतै बदळती नै

मौकै मुजब मेटती आई है।

थारै भावां री जूण जातरा

म्हनै जलम सूं जगावती आई है।

आखर थारौ आकीन उजाळैला।

प्रीत रै पंथ रो झरणो

अठै इज बैवतो रैयो,

मूमल रो मांझी

अठै जलमियो

अठै ईज तो जासल रो

जूनाणै धणी जस राखियो।

5.

जे तूं रोई तो-

हारू हुमायूं रा

उठै इज पग थम जावैला।

अकबर रो उतन

फेरूं और कठै व्हैला।

थारो रुदन सुण

साचो सूरजड़ो

धुंधळो पड़ जावैलो।

आभै मांयलो चांदड़लो

तारां रै तेज सूं

आपरो असर गुमा देवैलो।

ममताळू मायड़ रै

हंसतोड़े होठां माथै

कठाई री थड़ी जम जावैली।

कुंवर भगत री वाणी नै

भगत हरदास रै हरजस नै

कुण ध्यान सूं सुणैला?

पछै तो पछै -

थळ री धरती रो

हियो फूट जावैला।

थारै सत रै आगळ

सुरग रो सिंघासण हिल जावैलो।

साळधरै रो झरतो पाणी

दिन दिहाड़ै थम जावैलो।

राई वानर रै

तंदूरै रो झारो

उतर जावैलो

डाढ़ाळी मा देवल रो,

जानराई माल्हण रो

देवरौ झुक जावैलो।

पराक्रमी पीर पिथोरो

अठै नीं अवतरैलो,

थारै मामलिया री

मोमाई मा रूठ जावैली।

हे मारुई!

साव साची है कै-

हर चीती होणी नै

हर हीलै वसीले

रोकी नी जा सकेली।

6.

जे तूं रोई तो-

शाह भिटाई किण विध

'सुर मारुई' सजैलो?

बगत परियाण

थळ रा व्हाला

सादिक नै सावण बेचारा

थळवट री रीत रा,

पणघट रजे तूं रोई तौ-

थरपारकर री धोळी धेनां

नैना लोवारियां नै

लियाणो छोड़ देवैला।

वांकीलै बांधुड़ां री

भूरी भैंसड़ियां

लांबै रै पाणी नै

मूंडो लगाणो छोड़ देसी।

अलबेला ओठाड़ीड़ा

मईयां रै टोळां नै

मोरी काढ छोड़ देसी।

सोवणी सिंधड़ी में

मोराणै री महिमा

हळकी पड़ जासी।

ढळती मांझल रात में

साजन रै सैणां रो

ठंडो वायरियो

मंद पड़ जासी।

गवर सरीखी गोरियां

सिरै सहलियां संग

मेंहदी राचण री

रीत नै भूल जासी।

थारै पीळै पोमचियै रै

पल्ले री गांठ खुल जासी।

मेवड़लो रिमझिम री रमझोळ

करणो भूल जासी।

थारै हाळीड़ां में

हाळोतियां री हूंस

मोळी पड़ जासी।

प्रीतम रै देस रा पीलूड़ा

बिना पाकियां झड़ जासी,

बाबो सा नै काको सा रै

खेड़े री खेजड़ियां

झरोखां सरीखी झूंपड़ियां

आभल नै,बाबल नै

अणखावणी लागसी।

जूनी रीतां री नीवां पर

नूंवा गढां री भीतां भरणो

अबै मारू छोड़ देसी।

ससुई,सोहणी अर सोरठ

कद सत पत नीं तजियो!

लीला नूरी कोयलड़ी

कद लाज नै लजाई?

मूमल नै मरवण

वार प्रीत री वजाई।

तूं म्हारै जलम भोम री

मीठी मोचारी मोबत है।

थारी सुंदर सरसता

शिवपणै री सुरंगी सोबत है।

7.

जे तूं रोई तो-

इण हुकमत रै हाकम नै

कुण नाहकी बतावसी?

आथबियोड़ै उमर सूं

कुण बाथेड़ा करसी?

वा देस दीवानी

मलीर री मरदानी

रात दिन नै

अमराणै रै गोखड़ां में

ऊभी -ऊभी ऊंडै मन

निज भोम रै

बटाऊ री बाटां निहारै।

बीती बातां नै

ढळती रातां नै

मन सूं मांडै-उतारै।

मा जीजल नै

मारू बाबल नै

घड़ी-घड़ी चितारै।

पण उमर सूमरो

उलटी गिणती में पड़्यो-पड़्यो

भोळी भालवाई नै,

व्हाली मारू बाई नै

बिलमावण रा सपना विचारै।

चिंता री चिणगारी में

विरहण री बेगारी में

पजियोड़ो दिनड़ा तोड़ै।

देस -दीवानी रो,

'पालणै' री परवानी रो

मनड़ो किंयां मोड़ै?

खैर...

उमर किता दिन

अमानत राखैला?

हाकम रो हलायो हुकम

किता दिन हालैला?

नेम निमाणै,

धरम ठिकाणै।

8.

मारुई !

थारी रग-रग में

मायड़ भोम री

ऊंडी भावना भळकै है।

बोल-बोल में

वफादारी गुण गूंजै है,

अर सांस -सांस में

मंगेतर री सौरम महकै है।

पतिव्रत नै पाळण सारू

सती सीता कद सत नै छोड़ियो हो?

आखर रावण रो

पार नीं पड़ियो हो।

जोगण नारी री

काठी छाती आगळ

नर री किती औकात हुवै?

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुनियोड़ी ,
  • सिरजक : संग्राम सिंह सोढ़ा
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