घणा दिन हुया रोया कोनी
घणा दिन हुया हंस्या कोनी,
आ जड़ता,
ओ खुद सूं अणजाणपणौ
फेर भी जीवूँ तो हूँ।
सगळी रीत भांत करतौ,
करतब निभावन्तौ,
सगळां रा मन राखतौ,
हालूं तो हूँ चीलां माथै।
कदैई-कदैई लागै
के म्हैं जीवूं हूँ
या के चाबी सूं चालतौ रमतियौ
पिछाण सकूं कोनी
के हुयग्यौ है मन्नै।