आसमान की टोह लेतां

खेत में हळ जोततां

आह्वान गीत गातां

बो नीं जाणै

बां गीतां री आवाज़ में

बिरखा री उम्मीद है

बिरखा नैं बुलावो

आभै रो आह्वान

संगीत री धुन

सुणतो आभो

सुणता खेत

उम्मीद में है किसान

पण आज रो साच

हरियाळा गीत गावतां किसान

आपरी जमीन माथै

हळ नीं

मशीन चलावै

गीत नीं

आंसू बैवावै।

स्रोत
  • सिरजक : राजेन्द्र जोशी ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोडी़
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