दिन उगतां ही,
सूरजड़ो कर साथ,
आवै है तावड़ै रौ,
बाजे है डील रा
चामड़ा नित रोज...
कैयां बचां-बचावां,
काया ही जद हारी,
तावड़ियौ पड़्यौ है भारी।