टपक-टपक
घड़ा खाली भरर्या
झरणा है झरर्या
बादळ रस बरसै
बन-उपवन सरसै
टूटी क्यूं टपकै
बिरथा मत गंवाओ
औ इमरत है
औ जीवण है
सै मिल इणनै बचाओ।