बा मोकू आज टिफन देबा आरी छै
म्ह ऊंकी बाट न्हाळ रियो छूं
दो भायलियां जे सावण मं पीहर आयेड़ी छै
बै हमकूं भायेला-भायेली समझ री छै
उन मं सू अेक कह री छी
अस्या न करणो चाहिजै।
मैंने भी अस्या ही सुण्यो
पण समझी ईके लारै दो और बात भी
जाणै बा ईके सागै आपणा भायेला कू
जोड़ री होवै—
'तम मोकू छोड़’र मत जावो
तमकू अस्या न करणो चाहिजै
म्हैं तमकू बेजा चाहूं छूं।'