लागै है

इण सहर री सुफेदी।

अबार की गी है

लारला मीना में

इण सहर रै डील ऊपरां

लाल लाल धब्बा

अर ऊंडा ऊंडा घाव

मैं आप री आंख्यां सूं देख्या हा!

म्हारा मन जद अेक

हाहाकार सूं चीख उठ्यो हो

अर चायो हो

कै उण सैंग हथियारी नै

तोड़ नांख्या जावै

जिण सूं सैग सहर

जखमी होग्यो है

मन चावै है

कै-आ सुफेदी

कदै खराब नी होवै

अर बौ जखम

कदै हरया नी होवै

आज इण सहर री

सड़कां कतरी सीळी है

पैली री बजाय।

स्रोत
  • पोथी : जागती जोत ,
  • सिरजक : पूरन सरमा ,
  • संपादक : मोहनलाल पुरोहित
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