म्हारी मनवार

तीज तिवार!

लापसी,

चावळ-दाळ,

बड़ी रो साग

अर खरै घी री धार।

तपतै तावड़ै में

बिलोयोड़ी छाछ!

पौ-माघ में बाजरी रा सोगरा

का फळी-फोफळियै रो साग

अर गुड़ री डळी...

नीं जणै कांदा-रोटी सूं तो

गया-बीता हां कोनी!

पण आजकाल

अेक कप चाय अर

मनवार सलटी।

स्रोत
  • पोथी : मंडाण ,
  • सिरजक : नीरज दइया ,
  • संपादक : हरीश बी. शर्मा ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ,
  • संस्करण : Prtham
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