(आदमी) 

कांकड़ रै माथै 
आवता-जावता लोगां नै 
निरखणआळो छांग्योड़ो बंवळ्यो 


(प्रेम) 

रेगिस्तान रै मांय 
जद-कद होबाळी बिरखा 

(सम्बन्ध) 

दीया रै मांय घाल्योड़ो 
थोड़ो उधारो तेल 


(सभ्यता) 

बिना धणी री 
भेळ्योड़ी खेती 

(सांझ) 

नाज रा टोटा में 
बुझ्योड़ा चूलासी 

स्रोत
  • पोथी : राजस्थानी-1 ,
  • सिरजक : गोरधन सिंह शेखावत ,
  • संपादक : तेजसिंह जोधा
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