1
जेठ महीनो, खिरा उछले,
तांबा-वरणो ताल
अगन लपट ले, लू खूंखाई,
रूंखा-वळगी छाल
उघाड़ो ऊभो खेत धणी
सुणोजी॰
2
लाँबा चोट बभूळा, डीघा,
फिरे करे फूंफाड़
छप्पर छान, ढूमरी पटके,
और उडावे बाड़
कर्म में पटके रेत घणी
सुणोजी॰
3
गमछो शीश फावड़ो कांधे,
बेई-बायें हाथ
गहरी निजर गाड़ कर देखी,
उडी खेत री खाल
काळजो कांप्यो, कंप घणी
सुणोजी॰
4
जिण जमीन रे पाण चुकायो,
लहणे रो पड़-ब्याज
खुद परएयो, टाबर परणाया,
करिया औसर-काज
कमाई खिल बा जाय-छणी
सुणोजी॰
5
काठो बांध गमछियो-माथे,
बेई ली फटकार
उडिया खण्ड ढहरियां चेपी,
दाबी झट मचकार
कणांरी पग पग पांत तणी
सुणोजी॰
6
काली पीली रमी आंधियां,
दोट-दटूल हजार
नवी-नवी निपजाऊ माटी,
आण-थमी इकसार
मोरियां मेह-मल्हार-भणी
सुणोजी॰
7
उतरा खण्ड में झीणो बादळ,
आंधी रा गेंतूळ
बातां करतां बिरखा आई,
खोद-बहाया चूळ
कळायण गावे सात जणी
सुणोजी॰
8
हरखी धण धोर्यां ने सांभ्या,
बीज कियो तय्यार
हाळी-हल-संभाल-चालिया,
सुगन सा’ज शुभ बार
सामने मिलियो विप्र-गुणी
सुणोजी॰
9
तीतर और पपैया बोले,
गायां-गर्व अपार
खेतां री क्यूं पूछो बातां,
भँवरां री भणकार
फाळ में फूटे नाज-कणी
सुणोजी॰
10
वादो-वाद बधै अणमापै,
बाजर-मोठ-गुवार
रस भरिया मत्तीरा जाणे,
फूटे केशर-क्यार
बीज ज्यूं लालां लूं बचिणी
सुणोजी॰
11
टाबर रमे, गुडे बेलां में,
बिछिया करे किलोल
कुरिया नाचे, डिगे मेमना,
मद-मस्ती री छोळ
धणी खुद भूल्यो सुध अपणी
सुणोजी॰
12
कण-कण में जद रतन नीपज्या,
घर-बाहर ढिग-ढेर
चारों वेद दड़ूकण लागा,
फिर-फिर चारों मेर
जगत पित तू’ठो शाम-धणी
सुणोजी इण विध बात वणी