मानखै री पत

मिनखीचारै रौ पांणी

खुद सिरजणहार

थारौ-म्हारौ साथी

आपरै आपै में

रम्योड़ो-गम्योड़ो ध्यान रौ धारक-

धुन रौ धणी,

सांचौ मोती

हीरै री कणी

री सुणी। घणी सुणी

ढूंढौ अठै तौ लाधै कठै

देखौ अठै तौ लाधै उठै

सायर-कवी-कलाकर

सुणी है ईं नै

आगली-पाछली सगळी दीसै

सगली जूण री जुगत नै जांणै

वारै मांयलै रौ मांयलौ पिछांणै

लारलै जलम सूं लेय’र

आगलै जलम तांई रौ

हिसाब-किताब जांणै

परतख पारखी

सौ माथां सूं सोचणियौ

हियै री अचूक आंख सूं देखणियौ

लोगां नै

गाभां में नागा अर नागां नै

गाभां में देख लेवै।

पताळ-फोड़

कंवारी पताळ री थाग लेवणियौ

अकासां उडै-

इणरै आगै सिकरा सरमावै

किरत्यां नाचण लाग जावै

सूरज सं चांदी बरसावै

तावड़ै छींयां रौ पारखी

मेह आंधी रौ सैंधौ

तूफानां नै तोलणियौ

सगळां सूं आगै चालै

सगळां पैली बोलै

पांगळी दुनियां रा पग

आंधळी दुनियां री आंख

गूंगी दुनियां री बांणी

मिनख री मरजाद

सुन्दर भावां रौ उपजावणियौ

धरती नै सुरग बणावणियौ

हिम्मत री खैण-सगळां रौ सैण

पण घणकरीक बार

पतझड़ में झरै पात ज्यूं

खाय पूंन रा थपेड़ा

कदै पूंन रा थपेड़ा

कदै गळी-कूंचळा में

तौ कदै रोही-रूंखड़ा में

रूळतौ फिरै

दब धरती तळै

जूण पूरी करै

सौ बरसां में जलमै

इणनै तिल-तिल’र मरणौ पड़ै

इणरौ मांस तौ साकाहारी ही खावै

इण रौ कंकाळ

काळ में डोका चरतौ फिरै।

स्रोत
  • पोथी : जातरा अर पड़ाव ,
  • सिरजक : मोहम्मद सदीक ,
  • संपादक : नंद भारद्वाज ,
  • प्रकाशक : साहित्य अकादेमी ,
  • संस्करण : प्रथम
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