हादसा,

मांडता जावै इतियास

लगूलग उकेरता

रगत न्हाया आखरां नै।

धड़धड़ी छुटावै

रगत-रळी आख्यातां

बणगी है इतियास आपां रौ

दुसरावां ज्यांनै बारंबार।

जुद्ध व्है के उथेळौ

फाटतौ व्है ज्वाळामुखी

विगसै, धड़कणां

धरती री

क्यूं व्है जमीकंप?

अणगिणत बम रा गोळा

मिरतू रा हलकारा

आवै लेय’र नित नुंवौ सन्नीपात

सोधलै मिस

रगत री बाढ़ ल्यावण

सूंतलै

लोही मिनखां रौ।

अेकूअेक पाठै ऊपर

दसखत है लाचारियां रा

के धिन्न भर्या आख्यांन छपियोड़ा

सोग!

धार चुकौ है जळसै रौ रूप

उगाइजै है चंदा।

लुटग्या ज्यांरा घरबार

व्हेग्या सरणारथी

खुद री अरथी उंचावता वै

चीखता, कोसता, गाळियां देवता

गमग्या अबोलै लोक में।

जोवां हा इतियास में

आपां रा नांव

कुण जांणै कद कोई

नुंवौ वेद व्यास

मांडतौ व्है नुंवी आख्यात

अर आपां रा नांव

रावण, दुसासण,

हिटलर, चंगेज के

हलाकू रै अध्याय में

जोड़ दै।

कुण जांणै

कुणसौ है विग्यांन, इतियास रौ

जकौ लगूलग है

खुदरै आपै-धापै

रूस रौ ज्यूं स्पुटनिक।

स्रोत
  • पोथी : अंवेर ,
  • सिरजक : सत्येन जोशी ,
  • संपादक : पारस अरोड़ा ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर ,
  • संस्करण : पहला संस्करण
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