खुदौखुद कीं नीं बदळसी

मांन थूं बात,

नीं आथूणौ बास

नीं अगूणौ बास

नीं पहाड़, नीं जात,

जिका बदळाव री बात करै

वै खुद बदळ जावै,

आपरा हित साधनै

ओजूं कदै निजर नीं आवै

सुण पेपला!

जातवाद री

जड़ काटणी पड़सी,

आथूणै बास री

पकड़ करणी हुयसी ढीली,

गांव बदळण खातर

बदळणी पड़सी

दिल्ली!

स्रोत
  • पोथी : पेपलो चमार ,
  • सिरजक : उम्मेद गोठवाल ,
  • प्रकाशक : एकता प्रकाशन
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