घर री लिछमी
टाबरां री मां
समाज री सामाजिकता रौ खोल्यौ पैर्योड़ी
सुबह सूं सिंझ्या तांई खटती पिटती
घर री खुसहाली नै
दिन रात रटती रेवै
पतौ नीं वा कितरा देवतावां नै धोकै
बरत उपवास करै।
पण मिनख
उगळ देवै उणनै
सिगरैट रै ढेर—सारै धुएं री भांत
अर झाड़ दे 'एस्ट्रै' में
तलब हुवै तौ पी लेवै
पछै फैंक दे खाली बोतलां में
इण रै उपरांत ई प्रेम मोह री चादर
ओढ्यां बैठी है
ठिठुरती—कांपती
मांय ई मांय बळै मोमबत्ती दांई
अर पिघलै, बरफ दांई।
पण चिपकियोड़ी जौंक दांई संस्कारां सूं
इणरै उपरांत ई आखिरी सांस तांई कमजोर
हार्योड़ी थाक्योड़ी
लुगाई, फक़त लुगाई।