हैं जी!
थे अतरा बावळा कियां हुया?
थे कियां अतरा बावळा हुया?
कांई मिल्यो बां बम्बयां में अर कांई मिल्यो बां दिल्ल्यां में
बां सूख्योड़ी-सी छोरयां में बां माचिस की-सी तिल्यां में
रात्यूं उछळ डिस्को मांय जद
थे मां-बापां रो नांव काडा हा
तो
म्हारी जीजी रै ब्याव में म्हारै
सागै नाचतां कांई खाडा हा
मैं रोई-कूकी सगळा थावर
जद-जद थारो फोन नीं आयो
आगा-पाछा माचा कीन्यां
फेर भी मनै सोण नीं आयो
थानै कुण समझावै अब म्हारै तो दो माथा कोनी
थारी प्रीत तो प्रीत है अर म्हारी गाथा गाथा कोनी
हैं जी?
थे कियां अतरा दोगळा हुया
थे कियां अतरा बावळा हुया?
सोमवार करिया तो मैं करिया
ग्यारस कीती तो मैं कीती
थारै सामैं तो रैगी काठी पण पछै भरी भरी-सी मैं रीती
कूकर की-सी सीटी बाजूं
घर कां आगै फीटी बाजूं
मां नितका नया साख दिखावै
मैं नितका नट-नट ढीठी बाजूं
पछै रीस करूं रोट्यां न पोऊं
दही जमै न छाछ बिलोऊं
मायड़-बावळ पछै रोळा रोपै
अर मैं आंसूं घुट-घुट लुक-लुक रोऊं
थक हार थांनै फोन मिलाऊं, पण थां कन वा बंगालण सोवै
थे करो वेथळी बातां वींसूं अर अठीनै थांकी बिरहण रोवै
हैं जी!
थे कियां अतरा वेथळा हुया
थे कियां अतरा बावळा हुया?
सुण बावळी इयां कांई सोचै
थारो बावळो थारो ही सोचै
आपां बातां करता धापां नै
पण
अै जात्यां ले बैठी आपां नै
घर कां नै मैं कियां समझाऊं
भोळी मायड़ कियां मनाऊं
तू स्याणी है तू तो खुद सूं बी भिड़ ज्यासी
पण घरां ठा पड़्यो अर राड़ छिड़ ज्यासी
तू बस राख दीजै थारै
छोरै रो नांव म्हां पर
पछै मैं बी राखूं म्हारी
चुटकी रो नांव थां पर
पछै देखां कुण तोपचंद कियां टोकसी आपां नै
इक-दूजै रो नांव बुलातां कुण रोकसी आपां नै।
पण अेकर आ म्हारी बात मानले
अै ओछी ऊंची-नीची जात मानले
तू रोई तो बावळी
म्हे रोया तो बावळा
पण जे
नेड़ै आया आपां दोन्यूं
तो रोवैला कई रावळा!
कांई मिलसी तनै रूवाण रावळा
सुण! ईं बिच्चै तो रूवाण बावळा!