ताण, सांम्ही छाती ताण!
ऊभौ हौ मजूर किरसाण।
बूझा मती अै दीवा साथी,
घणमोला है थारा पिराण।
दे गाबड़ में हक खोसलै,
निज री तागत ले पिछाण।
लीलड़्यां सूं पार पड़ै नीं,
मचा अबै तौ थूं घमसाण।
हाकम सूत्यौ घोर नींद में,
थारी कबरां चाद ताण।
करनै हाकौ धरती धूजा,
जदैई रेवैलौ साथी मांण।
सइकां सूं सता री रीतां,
करती आई लोहीझ्यांण।
मरणौ धारै लड़नै मरजै,
बिरथा मति खोवै पिराण।
सोयां अबै सरै नीं साथी,
जाग रै मजूर किरसाण।