बँधण प्रेम रौ निभाणो मिल हेत सूं
खेल-खेल में बाल पणा रा
रुस्या और मनाया
लाड़ लडाता खाता-पीता
दिन नी पाछा आया
घणा दूराँ वै ग्या क्यूँ ईण नेह सूं
बंधण प्रेम रौ निभाणो घणा हेत सूं
मांडवो मण्डाई म्हारौ
किकर कर्यो परायौ
छोड़ चीडकली आभे थारौ
मन क्यूँ नी घबरायो
पाछी फर-फर आई हगरा खेत सूं
बंधण प्रेम रौ निभाणो घणा हेत सूं
परदेस्यां में जा ने भूल्या
मायड़ री हांकल ने
आज काल में करता वित्या
वरस घणा एकल में
उन्डी पड़ गी ये आँख्या अचेत सूं
बंधण प्रेम रौ निभाणो घणा हेत सूं
बेनड़ आयौ थाने लेवा घणा नेह सूं
बंधण प्रेम रौ निभावाँ घणा हेत सूं।