ए काळी बादळी आजे रे अनुभवां री लाठी ईक सूरज पूरब मा उग्यो झीलां री नगरी ऊँ व्है गी कूक कूक ने कोयळड़ी नारी शक्ति री पैचाण पिर पीर री पूछे थाणा सब सूं उठाया दोनूं हाथ वीरा वेगो आजे लेवा परदेस सूं