म्हारै जनम सूं

पैली

म्हारी बाई

कांईं ठाह

गई कठै!

जे आज

होंवती बाई

तो म्है

करता धूमस

बाई साथै

खेलता-कूदता

भाजता

कदै रूस जांवता

बाई मानता

बाई साथै

जे होंवती

आज थूं

तो करता ब्याह

अर

म्है रोंवता

थारै व्हीर होंवती बगत

पण

हूणी नै

कुण टाळै बाई

आज

थारी ओळयूं में

आंख्या सूं बगै

आंसूडां रा व्हाळा

एकर-एकर थू

भगवान कनै सूं

आज्या पाछी

बतळावां

भाई-बैन

मिल'र करां धूमस।

स्रोत
  • पोथी : थार सप्तक 5 ,
  • सिरजक : अजय कुमार सोनी
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