बाळपणे में बरजती

कैया करती ही मां—

''मत मार बैन नै

पाप लागै रे, पाप

देख, वो देख

वो कांटीलो थोर

ऊग्या करै है उणमें

पापी हाथ!''

टाबर हा

डरिया करता हा तद

पण अबै?

अबै तो डरै नीं कोई आथ

हां,

ऊग्या तो करता हा कदैई, पण

अब नी ऊगै थोर में हाथ

स्रोत
  • पोथी : अंवेर ,
  • सिरजक : जुगल परिहार ,
  • संपादक : पारस अरोड़ा ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी
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