मैं जद-जद शहरन मं होर कडूं
मन मं सोचूं
कुण ने बसाया होगा शहर?
अस्यां लागै जाणै
गांवन सूं भागेड़ा
बायेलां ने शहर बसाया होगा।
जे बापड़ा!
फेरूं आबो चाबा छा गांव
पण लोक-लाज सूं डट गिया पांव
बस हिया मं रह गिया गांव।
शहर सूं कड़ता हुयां
मैं जद भी गांव कू याद करूं
गांव आ’र भर ले म्हारी बाथ।
मैं सोच भी कोनी सकूं
कै छोड़ द्यूं ऊका हाथ
रोबा लाग जाऊं फेरूं मैं भी म्हारै
आपणा बिछुड़ेड़ा गांव के लारै।