पौरवां सूं कैयी

बातां री ताण पकड़ वो

आय ज्यावै इण तीर

खोलूं

करूं जतन

अर सांवट खुद नै

मेलूं उण तीर

इण मनगत रा छांटा मांय

पछै भींजता रैवै

म्हारा दिन-रात।

स्रोत
  • पोथी : मंडाण ,
  • सिरजक : किरण राजुपुरोहित ‘नितिला’ ,
  • संपादक : नीरज दइया ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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