अब सांस बूझै लागी है
हरेक आवाजाही रौ हिसाब
अर म्हारै कनै नीं है
कोई ठीक-सौ ऊथळौ
थारै जावणै पछै ई अेक आस बाकी ही
कै आपां मिलसां कदै ई
थारै अेक ऊथळै सूं अब जदै
वा आस ई टूटगी
तौ पछै सवाल है कै क्यूं नीं टूटै
सांस रौ तागौ, कांई उडीकै
पण नीं, इण आसविहूणाई नै
इण दुख, इण अणमणास नै
जीवणै सारू ई सही
जीवणौ तौ पड़सी रिंकी टेलर!