कुमार अजय
चावा कवि-गद्यकार। 'संजीवणी' कविता संग्रै माथे केन्द्रीय साहित्य कदमी रो युवा पुरस्कार।
चावा कवि-गद्यकार। 'संजीवणी' कविता संग्रै माथे केन्द्रीय साहित्य कदमी रो युवा पुरस्कार।
आग
आरसी
अचंभौ
असर
असवाड़ै-पसवाड़ै
बदळाव
बगत
बीजौ मारग नीं
चिड़कली
चिन्हीक-सी सौरम
देहळी
जांण-बूझनै
जीवणौ तौ पड़सी रिंकी!
कदै स्हैर आवै तौ मिलजै!
कविता
लेख
मनसा
म्हारी बात सूं
मुळक
ओळख
ओसांण
पडळां
रिंकी टेलर रै नांव
समझ
संजीवणी
सांसां रौ निंवाच
सपनौ
सोवणी है दुनिया
थूं है किण गुमांन मांय
थूं आज्या नीं
उपाय