कुमार अजय जलम: 1982 bikaner चावा कवि-गद्यकार। 'संजीवणी' कविता संग्रै माथे केन्द्रीय साहित्य कदमी रो युवा पुरस्कार।
आग आरसी अचंभौ असर असवाड़ै-पसवाड़ै बदळाव बगत बीजौ मारग नीं चिड़कली चिन्हीक-सी सौरम जांण-बूझनै जीवणौ तौ पड़सी रिंकी! कदै स्हैर आवै तौ मिलजै! कविता लेख मनसा म्हारी बात सूं मुळक ओसांण पडळां रिंकी टेलर रै नांव समझ संजीवणी सांसां रौ निंवाच सपनौ सोवणी है दुनिया थूं है किण गुमांन मांय उपाय