आत्मा बोली एक दिन—
इनसान रै सरीर माँय
थोड़ा दिन रैवणो
अर फेर निकळ भाजणो,
थोड़ा दिन फेर रैवणो
हर फेर कोई दूसरो ठीयो देखणो।
मन्नैं तो
सरीर-सारीर कीं नीं लागै
ओ तवायफखानो!