देही रै माळियै

बेजां भर्‌योड़ा है

भगवानां रा सिरज्या

गोळा-बारूद-भाला-बरछा

बैम में है अब

आपणां कारनामां

ओळपंचोळा-आडा-टेडा

जाबक ऊतपटांग

लाम्बा-लाम्बा तीबा

आवळ-कावळ टांका मार-मार

सांध राख्या है लीरा

जिण ढक राखी है।

आपणी मैली काया।

हेली आपणीं

बजावै अणमणीं ड्यूटी

लगोलग हरमेस

जणां तो गुड़ै

नासवान डील रो गाडो

बैंम पण रैवै हरमेस

है किण माथै ठाह नीं

म्हैं हूं, पण हूं कै नीं

ईयां लागतो रैवै हरमेस।

स्रोत
  • पोथी : थार सप्तक 6 ,
  • सिरजक : धनपत स्वामी ,
  • संपादक : ओम पुरोहित ‘कागद’
जुड़्योड़ा विसै