सुरसत पूजी मैं नहीं

नह लिछमी स्यूं हेत,

मैं माथै ऊंच्यां फिर्‌यो

जलम-भोम री रेत,

मिलसी रोटी दाळ ज्यूं

मिलै धूप, जळ, पून

जको बणाई चूंच नै

बो ही देसी चून

इण आतम विसवास स्यूं

डिग्यो नहीं खिण अेक

आई माया ठगण नै

धर कर रूप अनेक

करी सबद री साधना

असबद म्हारो ईठ

रूप, रंग, रस गंध री

तिसणा छूटै नीठ

बुझसी धूणी देह री

अबै हुवै परतीत

पण आभै में गूंजता

रैसी म्हारा गीत।

स्रोत
  • पोथी : कन्हैयालाल सेठिया समग्र (राजस्थानी) ,
  • सिरजक : कन्हैयालाल सेठिया ,
  • प्रकाशक : राजस्थान परिषद. कोलकाता
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