म्हनैं ठाह है-

नाप जोख’र

हैसियत मुजब

बणाया जावै

अजकाळै भायला!

अेक-दूजै री कमर में

खाज करणै रै राजीपै सागै

गूंथीजै रिस्ता।

इणी’ज खातर तो

आजकाळै टाळ दिया जावै

जरूरत कोनी रैयी अबै

बिना नखवाळां री।

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुनियोड़ी ,
  • सिरजक : रमेश भोजक 'समीर'
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