दोपारां री बेळा
खेत में निनाण करै
मोट्यार लुगाई
पछै थाक’र बिसांई लेवै
खेजड़ी री ठंडी छींया में
जे माथै चढ आयो सुरजी
लिलाट सूं बवै पसीनो
बिसांई अर बिसांई
च्यारूंकानी सुणै
ऐड़ा ई सबद
ऐड़ी ई बातां।
आंख्यां में
उडै रेत ई रेत
कंठां में
सूखै नदी-नाळा
डील सूं चुवै
मैनत रा मोती
आकास
साव छोटो सो बणै
धरती लागै
साव सैंधी सी
जाणी-अजाणी
मिनखा पिछाणी
पछै भी क्यूं
जीव चढै घाणी
जे कीं करणो
तो बिसांई नै छोड़ मिनख
बिसांई रूकावट है।